कोण्डागांव। बस्तर संभाग के वनांचलों में प्राकृतिक सौंदर्य की कोई कमी नहीं है। यही कारण है कि बस्तर को लोग छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहते हैं। ऐसे ही प्राकृतिक सौंदर्य की पराकाष्ठा है केशकाल समीप स्थित ‘टाटामारी वीव पॉइंट’। केशकाल के टाटामारी स्थित पर्यटन क्षेत्र को राज्य के पर्यटन नक्शे में उकेरने के लिए टाटामारी ईको पर्यटन क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत टाटामारी में बनाये जा रहे रिसार्ट का आज सीएम द्वारा भूमिपूजन किया गया।
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उल्लेखनीय है कि रायपुर से जगदलपुर को जाने वाले एनएच 30 पर बसे केशकाल से दो किमी की दूरी पर स्थित टाटामारी ईको पर्यटन क्षेत्र अपने विहंगम प्राकृतिक दृश्यों एवं प्राकृतिक संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है। टाटामारी को जिला प्रशासन द्वारा ईको पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर पर्यटकों के लिए बेहतरीन सुविधाओं के साथ रूकने के लिए रिसार्ट का निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत् 10 कॉटेज बनाये जा रहे हैं। इनमें डायनिंग हॉल, केंटिन, इंफिनिटीव पुल जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इसके अतिरिक्त वहां के स्थानीय ग्रामीणों को टूर गाईड के रूप में प्रशिक्षित कर उन्हें टाटामारी के जंगलों एवं पहाड़ियों में पर्यटकों को घुमाने का कार्य दिया जाएगा। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रथम चरण पूर्ण कर लिया गया है।
टाटामारी ईको पर्यटन क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जंगल यात्रा, ट्रेकिंग, प्राकृतिक औषधी दर्शन, नाईट कैम्पिंग, तीरंदाजी को विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में पहली बार एक पहाड़ी को दूसरी पहाड़ी तक जोड़ते हुए ग्लास ब्रीज का निर्माण का निर्माण किया जाएगा। यह ग्लास ब्रीज पूर्णतः कांच एवं स्टील स्ट्रक्चर का बना होगा। इस ब्रीज से जाकर पर्यटक टाटामारी के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकेंगे। टाटामारी ईको पर्यटन क्षेत्र से 150 से अधिक ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त होने के साथ जिले को पर्यटन मानचित्र में एक विशेष स्थान प्रदान कराएगा। पिछले 04 महीनों में 1.5 लाख से अधिक पर्यटक टाटामारी का भ्रमण कर चुके हैं।
टाटामारी ईको पर्यटन क्षेत्र विकास योजना भविष्य में विकसित की जाने वाली जिले की समग्र पर्यटन विकास योजना का एक हिस्सा है। कोण्डागांव जिले में पर्यटन की आपार संभावनाओं को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा इसे विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अंतर्गत केशकाल क्षेत्र के 20 से अधिक प्राकृतिक झरनों, लिमदरहा मीड वे, टाटामारी, भोंगापाल मंदिर, गोबरहीन मंदिर, गढ़धनोरा के महापाषाण घेरे एवं अन्य पर्यटन केन्द्रों को मिलाकर पर्यटन सर्किट विकसित किया जा रहा है। इस सर्किट के तहत् आने वाले पर्यटक जिले के पर्यटन केन्द्रों का एक साथ लुफ्त उठा सकेंगे साथ ही यहां के ग्रामीणों को रोजगार के नये साधन भी उपलब्ध होंगे। रविवार को मुख्यमंत्री द्वारा लिमदरहा मीड वे में आने वाले लोगों की सुविधा के लिए 03 करोड़ 57 लाख लागत से बनाये जा रहे व्यवसायिक दुकानों, रिसार्ट, सार्वजनिक सुविधाओं एवं अन्य सुविधाओं का भी भूमिपूजन किया गया।
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