सिर्फ शराब के नशे के लिये कर दी कुुल्हाड़ी से पत्नी की हत्या, शराब बंदी की बात कर सत्तासीन सरकार को शराब के ‘वारदात रूपी साइड़ इफैक्ट्स’ से नहीं कोई सरोकार

बास्ता बेच कर कमाए पैसे से शराब पीने जा रहा था पति, मना किया तो कुल्हाड़ी से हमला कर उतार दिया पत्नी को मौत के घाट

जगदलपुर। कोतवाली पुलिस ने कुछ घंटों में ही अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझा दी है। आदतन शराबी पति ने ही पत्नी की हत्या की थी। दरअसल जिले के धुरगुड़ा गांव की रहने वाली सुखटी बाई की 26 जून को किसी ने धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी थी। पुलिस ने मर्ग कायम कर सिटी कोतवाली में अज्ञात अपराधी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जिसके बाद पुलिस इस अंधे कत्ल की गुत्थी को सुलझाने में जुट गई थी। वहीं कुछ घंटों में ही पुलिस ने आरोपी को अपने गिरफ्त में ले लिया है। इसमें चौकाने वाली बात यह है कि इस घटना को अंजाम किसी और ने नहीं बल्कि सुखटी के पति बुधराम नाग (56) ने ही दिया था।

कुल्हाड़ी बरामद 

 

शराब पीने से किया मना, तो पति ने कुल्हाड़ी से की हत्या

नगर पुलिस अधीक्षक “हेमसागर सिदार” ने बताया कि सुखटी की हत्या की खबर मिलने के बाद सिटी कोतवाली TI एमन साहू के साथ एक टीम बना कर इस पूरे मामले की छानबीन की जा रही थी। विवेचना के दौरान पता चला कि सुखटी का पति बुधराम आदतन शराबी है। वहीं एक दिन पहले बाजार में बास्ता बेच कर थोड़े बहुत पैसे कमाए थे, इस पैसे से घर में जरूरत का सामान लाने की बजाय बुधराम शराब पीने जा रहा था। पत्नी सुखटी ने पति को शराब पीने से मना किया तो गुस्साए बुधराम ने कुल्हाड़ी से पत्नी पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया था।

पुलिस ने घेराबंदी कर गिरफ्तार किया है। न्यायिक रिमांड पर भी भेज दिया है।

पत्नी के हत्यारे पति बुधराम को पुलिस ने धुरगुड़ा गांव से ही घेराबंदी कर गिरफ्तार किया है। आरोपी के पास से पुलिस ने एक कुल्हाड़ी भी बरामद की है। साथ ही हत्यारे बुधराम को न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है।

शराबबंदी, बेरोजगारी भत्ता, रोजगार जैसे वायदे बने जुमला

गौरतलब है कि चुनावी घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वायदा कर कांग्रेस ने सत्ता के कारपेट पर पैर रखा था। शराब बंदी की बात कर सत्तासीन सरकार को अब शराब के इतने बड़े-बड़े वारदात रूपी साइड़ इफैक्ट्स से भी कोई सरोकार नहीं है। राज्य की भूपेश सरकार के कार्यकाल के ढाई साल पूर्ण होने के बावजूद भी शराबबंदी, बेरोजगारी भत्ता, पेंशन व रोज़गार जैसे बड़े-बड़े वायदों पर कोई विचार करती नहीं नजर आ रही है। गंगाजल की कसम खाकर वायदे करने वाली सरकार ‘सामाजिक विरोधों’ के बावजूद निज नये शराब दुकानें खोलने पर अपना जोर दे रही है।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Dinesh KG
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