चंदन-जात्रा पूजा विधान के साथ प्रारंभ हुआ बस्तर गोंचा-2019

बस्तर की रियासतकालीन छ: शताब्दियों के पुरातन परंपरानुसार भगवान श्री श्री जगन्नाथ स्वामी व शालिग्राम की देवस्नान पूजा विधान कहलाती है चंदन जात्रा
सीजीटाइम्स। 18 जून 2019
जगदलपुर। श्री श्री जगन्नाथ मंदिर में आज चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ बस्तर गोंचा 2019 प्रारम्भ हुआ। आज के चंदन जात्रा पूजा विधान में सर्वप्रथम ग्राम आसना में स्थापित भगवान शालिग्राम को जगन्नाथ मंदिर लाया जाकर यहां स्थापित किया गया तत्पश्चात बस्तर की प्रणादायनी पवित्र इंद्रावती का जल पारम्परिक पूजा अनुष्ठान के उपरांत लाया गया। समाज के पदेन पाढ़ी एवं पाणिग्रही के मार्गदर्शन में भगवान जगन्नाथ स्वामी एवं भगवान शालिग्राम का दूध, दही, घी,शहद, पंचामृत, एवं इंद्रावती के पवित्र जल से अभीषेक कर चंदन स्नान के साथ पूजा विधान समाज के ब्राम्हणों के द्वारा वैदिकी मंत्रोचार के साथ संपन्न कराया गया।
बस्तर गोंचा का प्रथम विधान चंदन जात्रा जयेष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को सम्पन्न होता है। बस्तर गोंचा के पूरे पूजा विधान को परंपरानुसार सम्पन्न कराने का सौभग्य 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज को प्राप्त है, पर्व की सम्पन्नता में समाज के सम्मानित पदेन पाणिग्राही एवं पदेन पाढ़ी का विशेष महत्व होता है। जिनके द्वारा बस्तर गोंचा के पूरे पूजा विधान सम्पन्न करवाये जायेगे।
बस्तर में रियासत काल से अर्थात वर्ष 1408 से बस्तर दशहरा एवं बस्तर गोंचा पर्व आज भी अनवरत जारी है, यह पर्व की अखंड पौराणिक परमपराओं की विरासत को सहजे रखने की स्थापित मान्यता ही इसकी पहचान है। पूरे विश्व मे बस्तर गोंचा व बस्तर दशहरा अपनी शताब्दियों पुरानी विशिष्ट परम्पराओ-मान्यताओं के कारण अलग पहचान रखता है।
जयेष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ बस्तर गोंचा का आगाज हो गया। पूजा विधान के सम्पन्नता के बाद जगन्नाथ मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित भगवान के विग्रहों को सर्व प्रथम नीचे उतारा जाता है। जहाँ पूजा विधान सम्पन्न की जाती है। पूजा विधान की सम्पन्नता के बाद प्रसाद का वितरण पश्चात भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व बलभद्र के 22 विग्रहों को मंदिर में स्थित मुक्ति मंडप में स्थापित किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज से भगवान जगन्नाथ का अनसर काल प्रारम्भ हो जाता है, यह अवधि 15 दिवस की होगी इस दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन वर्जित रहेगा। 3 जुलाई को नेत्रत्रोत्सव को भगवान जगन्नाथ श्री मंदिर के गर्भ गृह के बाहर सर्वजन को दर्शन देगे।