बीजापुर। नयी-नयी शिक्षा नीति को लेकर दंभ भरने वाली सरकार की कार्यशैली पर अब सवाल उठने लगे हैं। लचर शिक्षा व्यवस्था से रूष्ठ दुरूस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली बच्चे अब स्कूलें खोलने की मांग को लेकर सड़क पर उतरने लगे हैं। इन ग्रामीण बच्चों की मांग है कि उनके क्षेत्रों को शिक्षा से अनभिज्ञ न किया जाये। जिले में नेटवर्क व आवागमन की सुविधाओं का दूर-दूर तक इन वनांचलों से कोई वास्ता नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा इन तक नहीं पहुंच पाती, जिसको लेकर छात्र-छात्राओं में काफी मायूसी भी देखने को मिल रही। समय रहते अगर इन समस्याओं को दूर नहीं किया गया तो इन मासूम आदिवासियों की एक पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्र ‘संड्रा’ की एक छात्रा ‘सपना वेलादि’ का कहना है कि उनके क्षेत्र में भी एक प्राथमिक शाला खुलनी चाहिए, ताकि वनांचलों के बच्चों को पैदल-पैदल दूरस्थ स्कूलों तक पहुंचे में परेशानियां न हो सके। वहीं ऑनलाइन शिक्षा को लेकर सपना ने कहा कि यह प्रक्रिया हर एक विद्यार्थी तक नहीं पहुंच रही।
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वहीं केशकुतुल की 12वीं क्लास की एक अन्य छात्रा ने ऑनलाइन शिक्षा में हो रही दिक्कतों को लेकर कहा कि नेटवर्क की समस्याओं की वजह से ऑनलाइन क्लासेस में अक्सर दिक्कतें आती हैं। कभी-कभी क्लास चलते वक्त भी नेटवर्क की वजह से हम शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलों को जल्द खोला जाये।
पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ‘रितेश अग्रवाल’ ने कहा कि संवेदनशील इलाकों में कई सारी स्कूलें बंद है, कुछ विस्थापित स्कूल पोटाकेबिन के माध्यम से चल रही हैं। इन क्षेत्रों में नेटवर्क की भी समस्या है। लगातार छात्र मांग कर रहे हैं कि स्कूल खोले जाएं, प्रशासन भी इसे लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि पिछले साल 56 स्कूल खोले गये थे। इस तरह 86 से 90 स्कूल इस वर्ष भी खोलने का लक्ष्य है।
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जिला शिक्षाधिकारी ‘प्रमोद ठाकुर’ का कहना है कि हमने गत् वर्ष भी 51 सिकूल खोले तो प्राथमिक स्तर के थे। इस वर्ष भी 91 स्कूलों को खोला जा रहा है, जिसको लेकर हमारे द्वारा तैयारियां पूर्ण कर ली गयी हैं। चारों ब्लॉक में ऐसे अंदरूनी क्षेत्र हैं, जहां आवागमन में भी असुविधा होती है, जिसे लेकर कलेक्टर महोदय ने प्रति स्कूल-प्रति शैड 5 लाख रूपये स्वीकृत करते हुए, बीते साल 56 स्कूल के लिये शैड की राशि की स्वीकृति दी थी। इस वर्ष भी यह कार्य प्रकियाधीन है, निश्चित रूप से वहां भी शैड का निर्माण किया जायेगा।
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“यहां विचारणीय है कि बस्तर संभाग में बीजापुर जैसे कई जिले हैं, जो आदिवासी बहुल और दूरस्थ अंचलों में स्थित होने के कारण विकास से कोसों दूर हैं। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इन जिलों की स्थिति भी क्या होगी। कोरोना के विभीषिका के बाद से ही ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को अपनाकर शासन-प्रशासन खानापूर्ती में लगी हुई है। ऐसे में उन ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली बच्चों का क्या होगा जो नेटवर्क, सड़क मार्ग, सरकारी व बुनियादी सुविधाओं के पहुंच से बाहर हैं? ऐसी शिक्षा पद्धति कहीं इन वनांचल में निवासरत् आदिवासी बच्चों के एक पूरी पीढ़ी के भविष्य को न अंधकार में धकेल दे। समय रहते इन दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में निवासरत् बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, अपनी शिक्षा नीति में आंशिक बदलाव कर शासन-प्रशासन को “शिक्षा और सुरक्षा” के आपसी तालमेल के साथ नयी पद्धति अपनाने की जरूरत है, जिससे कि ऐसे स्कूली बच्चों के भविष्य का रास्ता भी साफ हो सके।”