शांति के पक्ष में बस्तर की हुंकार : माओवाद पर ऐतिहासिक विचार गोष्ठी, बस्तर शान्ति समिति के तत्वावधान में हुआ माओवाद के विद्रुप चेहरा बीजिंग से बस्तर तक विचार गोष्ठी का आयोजन

Ro. No. :- 13220/18

बस्तर के नौजवान अपने प्रयासों से खत्म करेंगे माओवादी विचार – उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा

माओवादियों का समूल नाश अवश्यंभावी और समूचे बस्तर में होगी शान्ति, समृद्धि एवं खुशहाली – वन मंत्री केदार कश्यप

जगदलपुर। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर के नौजवान अपने प्रयासों से माओवादी विचार को खत्म कर देंगे। बस्तर के नौजवान विकास की बात करेगा और सुरक्षा बल के जवान अपने कर्तव्य के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। आज के युवाओं के मध्य में संचार साधनों का अधिक उपयोग किया जाता है इस सोशल मीडिया पर बस्तर की सकारात्मक माहौल की बात जरूर की जाए। बस्तर का विकास, बस्तर के मॉडल से होगी और बस्तर के हिसाब से होगी। बस्तर का जल, जंगल, जमीन बस्तर के निवासियों, युवाओं का है। शासन शांति के लिए हर संभव कार्य कर रही है अभी जो सुरक्षा बल कैंप है ओ भविष्य में लघु वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन केंद्र के रूप में विकसित की जाएगी। उन्होंने पूर्व में नक्सलियों द्वारा किए गए घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि नक्सलियों ने कई निर्दोष आम जनता और सुरक्षा बल के जवानों की हत्या की है। नक्सलियों के विद्रूप चरित्र को उजागर करना होगा। भारत के विचारधारा में माओवाद का कोई जगह नहीं है। माओवाद गतिविधियों से क्षेत्र में आधारभूत संरचनाओं को क्षति पहुंची, आम नागरिकों या निविदाकारों से पैसे की उगाही की गई, आम आदमी की नृशंस हत्या की गई। इसलिए बस्तर में अब नक्सलवाद समाप्त होना चाहिए। बस्तर के नक्सल हिंसा से प्रभावितों ने दिल्ली में जाकर राष्ट्रपति, केंद्रीय गृहमंत्री को अपनी व्यथा बताई साथ ही जंतर मंतर, जेएनयू कैम्पस में नक्सलवाद के खिलाफ नारे लगाए। आज नक्सल हिंसा पीड़ित अपनी बात बड़े-बड़े जगह में रख रहे हैं। साथ ही नक्सलियों को मुख्य धारा में जुड़ने और शासन की पुनर्वास नीति के तहत लाभ लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा मंगलवार को जगदलपुर के पंडित श्यामाप्रसाद मुखर्जी सभागार में बस्तर शान्ति समिति के तत्वावधान में आयोजित माओवाद के विद्रुप चेहरा बीजिंग से बस्तर तक विचार गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।

इस मौके पर वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि हम बस्तरवासी पिछले चार दशक से माओवाद के दंश को सह रहे हैं और माओवादी समस्या के कारण समग्र विकास में पिछड़े हुए हैं लेकिन अब आम जनता इन माओवादियों से मुक्त होने के लिए जागरूक हो चुकी है तथा विकास की मुख्यधारा में जुड़ने के फलस्वरूप एक बड़ा बदलाव परिलक्षित हो रही है। बस्तर के लोग सुख-शान्ति एवं खुशहाली की ओर अग्रसर होने के लिए उत्सुक हैं। इसे ध्यान रखकर केन्द्र एवं राज्य सरकार आगामी मार्च 2026 तक माओवाद समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए संकल्प लेकर कटिबद्धता से पहल कर रही है। जिससे माओवादियों का समूल नाश अवश्यंभावी है और समूचे बस्तर में शान्ति, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी तथा बस्तर की वादियों में फिर से ढोल-मांदर की थाप सुनाई देगी।

गोष्ठी में बस्तर आईजी श्री सुंदरराज पी. ने कहा कि एक समय वनों से आच्छादित बस्तर क्षेत्र में 1980 के दशक से नक्सल गतिविधि बढ़ी, जिससे क्षेत्र में विकास में बाधा बनी। अब बस्तर की धरा में आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के आशीर्वाद से क्षेत्र में सुरक्षा बलों के प्रयासों से जरूर शांति होगी।

विचार गोष्ठी में बस्तर सांसद श्री महेश कश्यप, फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन, बस्तर शांति समिति के सदस्य श्री दशरथ कश्यप, पूर्व विधायक श्री राजा राम तोड़ेम और बस्तर जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री मनीष गुप्ता ने बस्तर में नक्सल गतिविधियों के कारण बस्तर के स्वरूप में हुए परिवर्तन पर अपना वक्तव्य रखे। गोष्ठी में चीन में 3-4 जून 1989 की रात तियानमेन चौक में लोकतंत्र की मांग करने और माओवाद समस्या पर केंद्रित वृत्तचित्र का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में गृहमंत्री और वनमंत्री ने युवाओं से संवाद भी किया। साथ ही इस दौरान विधायक चित्रकोट श्री विनायक गोयल, महापौर श्री संजय पांडे, कमिश्नर बस्तर श्री डोमन सिंह, एसपी श्री शलभ सिन्हा और जिला प्रशासन के अधिकारी, बस्तर अंचल के विभिन्न समाज प्रमुख, समाजसेवी एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, पत्रकारगण और बड़ी संख्या में युवाओं के साथ गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

ज्ञात हो कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को आदर्श मानकर नक्सली (माओवादी) बस्तर में जल, जंगल, जमीन की बात करते हैं। उसी चीन में 3-4 जून 1989 की रात तियानमेन चौक में लोकतंत्र की मांग करने वाले 10 हजार छात्रों को टैंक से कुचल दिया गया।

नक्सलियों के आदर्श माओ त्से तुंग ने कहा था कि “राजनीतिक शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।” इस विचारधारा को लेकर नक्सलियों (माओवादियों) ने वर्षों से बस्तरवासियों को उनके अधिकारों से वंचित रखते हुए, बस्तर की भूमि में हजारों निर्दोष आदिवासियों को व सैकड़ों सुरक्षा कर्मियों को मौत के घाट उतारा है। बस्तर इन नक्सलियों (माओवादियों) की खोखली विचारधारा से आजाद होकर विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है,तो विचार पर संवाद करने का कार्यक्रम मंगलवार को आयोजित किया गया था ।

दिनेश के.जी. (संपादक)

सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..
Back to top button
error: Content is protected !!