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पूर्व विधायक “संतोष बाफना” ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, राज्य पुलिस बल की अतिरिक्त बटालियन गठित करने के दिए सुझाव

Ro. No. :- 13220/18

जगदलपुर। केन्द्रीय गृह मंत्रालय से नक्सल विरोधी अभियान को गति देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अतिरिक्त केन्द्रीय सुरक्षा बल एवं बस्तरिया बटालियन की मांग करने पर भाजपा के पूर्व विधायक संतोष बाफना ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर स्थानीय स्तर पर ही राज्य पुलिस बल की अतिरिक्त बटालियन का गठन करने की मांग की है।

बाफना ने कहा है कि, बस्तर संभाग की भौगोलिक एवं अतिसंवंदेनशील नक्सल परिस्थितियों कोे मद्देनज़र रखते हुए केन्द्रीय सुरक्षा बल की और अतिरिक्त बटालियन जो देश के विभिन्न राज्यों में तैनात हैं उन बटालियन के जवानों की बस्तर में तैनाती करने से नक्सल उन्मूलन अभियानों के लिए तकनीकि रूप से कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा। इसका कारण यह है कि, नक्सल विरोधी अभियान के तहत् तमाम अर्धसैनिक बल की बटालियन लंबे समय से बस्तर में पहले से ही तैनात हैं और यहाॅ की भौगोलिक परिस्थितियाॅ, स्थानीय बोली-भाषा आदि विषयों की जानकारी न होने के कारण देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए जवानों को तकनीकि रूप से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिस कारण कई बार सुरक्षा बल के जवानों को नुकसान उठाना पड़ा है।

पूर्व विधायक ने सुझाव देते हुए कहा है कि राज्य सरकार को भी अपने संसाधनों से स्थानीय स्तर पर पुलिस बल की अतिरिक्त बटालियन का गठन केन्द्रीय बस्तरिया बटालियन की तर्ज पर किया जाना चाहिए । स्थानीय युवाओं की भर्ती करने से सुरक्षा बल का सूचना तंत्र भी मजबूत होगा, जिससे नक्सलियों की रणनीति को भेदना भी आसान हो जाएगा। क्योंकि यहाॅ के युवाओं को स्थानीय हल्बी, गोंडी, भतरी, दोरली आदि भाषा की बहुत ही अच्छी जानकारी होती है। और क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों से भली-भाॅति वाकिफ होते हैं जिससे नक्सल उन्मूलन में भी सहायता मिलेगी।

पुलिस बल की अतिरिक्त बटालियन का गठन स्थानीय स्तर पर ही करने की आवधारण लाभकारी इसलिए होगी, क्योंकि इसमे अधिकतर रंगरूट छत्तीसगढ़ प्रदेश के नक्सल क्षेत्र के आदिवासी व गैर आदिवासी युवा होंगे, जो नक्सल मोर्चें पर पहले से ही मौजूद सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसटीएफ, सीएएफ, डीआरजी, जिला पुलिस बल के जवानों को रणनीतिक लाभ दिलाने के साथ ही खुफिया जानकारी जुटाने में मददगार साबित होंगे। और सबसे महत्वपूर्ण स्थानीय बेरोजगारी के मुद्दे का समाधान संभव हो सकेगा।

दिनेश के.जी. (संपादक)

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