अवरोधों की वजह से सिलगेर जाना संभव नहीं हो पाया, सिलगेर जैसी घटना का कोई स्थायी समाधान निकालना होगा – नंद कुमार साय

बीजापुर। केन्द्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व राज्यसभा सदस्य और भाजपा के कद्दावर नेता नंद कुमार साय सिलगेर गोलीकाण्ड में पीड़ित लोगों से मिलने सिलगेर के लिए निकले थे। तरेम से होकर सिलगेर तक के पूरे इलाके में बढ़ते कोरोना मामलों की वजह से प्रशासन ने तरेम गाँव को 25 मई से अगले 14 दिनों तक कंटेनमेंट जोन में तब्दील करने का आदेश जारी कर दिया है। तरेम से लेकर विरोध प्रदर्शन स्थल तक स्टेट हाइवे पर कई किमी दूर तक लकड़ियां और सूखे पेड़ों को रखकर मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया है। जिसकी वजह से नंद कुमार साय को तर्रेम से लौटना पड़ा।


स्टेट हाइवे की बेरिकेटिंग तक चला गया साय का काफिला

भाजपा बस्तर के नेता, पत्रकार और आम लोग जब तर्रेम में रुके थे, उसी दरमियान तरेम थाने के बगल बने अवरोधक को पार करके नंद कुमार साय का काफिला तरेम थाने से दूर स्टेट हाइवे पर लगाये बेरिकेटिंग की ओर चला गया। नंद कुमार साय का काफिला जैसे ही पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर संवेदनशील बेरिकेटिंग वाली हाइवे की ओर बढ़ा सुरक्षाकर्मी और मौजूद भाजपा नेताओं के होश फाख्ता हो गए। ड्यूटी पर तैनात जवान ने काफिले को रोकने नंद कुमार साय के काफिले का पीछा किया लेकिन नंद कुमार साय बेरिकेटिंग तक पहुंच चुके थे। बेरिकेटिंग के पास जवान ने साय को वापस तर्रेम आने को कहा। जिसके बाद नंद कुमार साय जी का काफिला वापसी तरेम पहुंच जहां भाजपा नेताओं की मौजूदगी थी।

जानें क्या बोले नंद कुमार साय..

सिलगेर तक जाना संभव नहीं हो पाया क्योंकि रास्ते में कुछ अवरोधक थे। कई जगह इस तरह की घटनाएं होती रही हैं भूतकाल में और इसे रोकने की दृष्टि से हमें कोई एक स्थाई प्रयास करने की जरूरत है। सिलगेर में जो घटना हुई उसमें दो अलग विरोधाभासी बातें आ रही हैं। वहां ग्रामीण थे पुलिस का कैंप था, कुछ सड़क बन रही थी उसमें पता नहीं क्या विरोध कर रहे थे और अचानक गोली चल गई 3 लोग मारे गए 18 या 20 लोग घायल हैं सारे ग्रामीण थे और पुलिस बता रही है वह नक्सली थे लेकिन जानकारी मिली है कि वह नक्सली नहीं थे।

सिलगेर मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय से की बात

हम कोशिश कर रहे हैं कि उनसे भेंट हो मुलाकात हो इस मामले को लेकर मैंने मुख्यमंत्री के ऑफिस में भी बात किया है और हमने कहा है कि जो लोग मारे गए और उनका परिवार उन्हीं पर आश्रित था, जो उनके घर के मुखिया थे उनको अगर पढ़े लिखे लोग हो तो नौकरी दी जानी चाहिए पर्याप्त मुआवजा उनको दिया जाना चाहिए। वह गरीब और जनजाति वर्ग के किसान थे और जो लोग घायल हो गए हैं वह भी उसी ग्रुप के हैं। उनका इलाज ठीक से हो आवश्यक सुविधाएं दी जानी चाहिए, इस बात को हम आगे तक बढ़ा रहे हैं।

Dinesh KG
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