बस्तर के चुनाव में वोट के लिए नक्सली क्रांतिकारी बन गए, कांग्रेस के लिए बस्तर के नक्सली क्रांतिकारी हैं तो देशद्रोही कौन है..? जवानों और निर्दोषों के हत्यारे क्रांतिकारी हो सकते है..?

जगदलपुर। आज बस्तर में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में वोट डाले जाएंगे। राजनीति का सबसे गंदा चेहरा बस्तर के चुनाव को लेकर यहां देखने को मिल रहा है। यह सर्वविदित है कि बस्तर संभाग का ज्यादातर क्षेत्र नक्सल प्रभावित माना जाता है। बस्तर संभाग के 12 विधानसभा में नक्सलियों का समर्थन प्राप्त करने के लिए तथा वोट प्राप्त करने के लिए कांग्रेस नक्सलियों को क्रांतिकारी का दर्जा दे रही है। इस बयान के बाद नक्सल प्रभावित क्षेत्र से यह बात सामने आ रही है कि नक्सली कांग्रेस का अघोषित समर्थन कर रही है। इसकी पुष्टि तब होती है,जब सीपीआई के एक स्थानीय जनप्रतिनिधि और जनपद सदस्य कमलू धुरवा की चुनाव प्रचार के दौरान हत्या कर दी जाती है। मृतक कमलू सीपीआई (भाकपा) का समर्पित कार्यकर्ता था। भाकपा के प्रत्यासी मनीष कुंजाम ने कांग्रेस के प्रत्यासी कवासी लखमा पर राजनैतिक हत्या का आरोप लगाया है। कांग्रेस के उक्त बयान नक्सली क्रांतिकारी है के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को नक्सल प्रभावित अंदुरनी छेत्रों में प्रचार के लिए नक्सली पूरा सहयोग कर रहे है। प्रश्न यह उठता है कि यदि नक्सली क्रांतिकारी है तो फिर देशद्रोही कौन है? क्या जवानों,निर्दोषो और कांग्रेस के नेताओं के हत्यारे कभी भी क्रांतिकारी हो सकते है।

बस्तर की राजनीति में नक्सलियों को क्रांतिकारी का दर्जा देकर चुनाव में वोट हासिल करने मात्र के लिए बकायदा प्रेसवार्ता के माध्यम से कांग्रेस के बड़े नेता राजबब्बर का यह बयान देना और उस पर कायम भी रहना, राजनीति का सबसे विद्रुप चेहरा प्रदर्शित करता है। जब कि यह सर्वविदित है कि कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रदेश स्तर के नेताओ जिसमे कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, श्री मुदलियार सहित कई स्थानीय नेताओं की हत्या नक्सलियों ने बर्बरता के साथ गोलियों से भूनकर कर दिया था, वह भी छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के दौरान यह हृदयविदारक घटना को नक्सलियों ने अंजाम दिया था। कांग्रेस के लिए यह यक्ष प्रश्न है कि क्या कांग्रेस के नेताओ की हत्या भी नक्सलियों के क्रांति का हिस्सा था? इस विषय पर कांग्रेस के स्थानीय नेताओ को कोई जवाब देते नही बन रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता प्रवक्ता भी कांग्रेस के नेता राजबब्बर के बयान का बचाव करते हुए असहज देखे जा रहे है। कांग्रेस के नेताओं का उक्त बयान का बचाव करना और राजबब्बर के बयान पर अडिग रहना यह पुष्टि करता है कि कांग्रेस के द्वारा सोची समझी रणनीति के तहत नक्सलियों से समर्थन प्राप्त करने के लिए नक्सलियों को क्रांतिकारी का दर्जा प्रदान किया है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि कही कांग्रेस का नक्सलियों के साथ चुनाव में लाभ के लिए समझौता होने के बाद कांग्रेस द्वारा नक्सलियों को क्रांतिकारी का दर्जा प्रदान किया है, यह चर्चा का विषय बना हुआ है। जगदलपुर के चुनावी रैली में इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभावी तरीके से उठाकर जनता तक संदेश भेज चुके है। इसका कही कांग्रेस को फायदा के स्थान पर खामियाजा भुगतना न पड़ जाए। बस्तर का यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि हमेशा से बस्तर को राजनैतिक ,प्रशासनिक प्रयोगशाला की तरह उपयोग किया गया है जिसका दुष्परिणाम स्थानीय जनजातीय बाहुल्य छेत्र को भुगतना पड़ा है। यह भी निर्विवाद सत्य है कि राजनीति और अपराध का हमेशा चोली-दामन का नाता रहा है। जिसका ज्वलंत उदाहरण कांग्रेस द्वारा नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के चुनाव में नक्सलियों को क्रांतिकारी का दर्जा प्रदान किया जाना वर्तमान के काल परिस्थितियों के अनुसार चुनाव में वोट के लिए प्रासंगिक कहा जा सकता है।

Dinesh KG
सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!