मानवता से बढ़कर है राजनीति यह साबित किया ‘भीमा मंडावी’ की असंवेदनशीलता ने, शहीद ‘राकेश कौशल’ की अंत्येष्टि में शामिल होने की बजाय प्रचार को दी प्राथमिकता

दंतेवाड़ा। विगत दिनों अरनपुर के निलावाया जंगल में हुए नक्सली हमले में घायल जवान राकेश कौशल निवासी बारसूर की रायपुर में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद उनका शव कल लगभग 4 बजे उनके गृहग्राम बारसूर पहुंचा। जिसे देखकर बारसूर के लोगों में भावनाओं का ज्वार फूट पड़ा। शहीद राकेश कौशल अमर रहें के गगनभेदी नारों से क्षेत्र गूंज उठा।
स्थानीय निवासी होने के कारण पूरे जिले भर में शोक का माहौल था। आस-पास गांवो के सभी ग्रामीण और मूर्धन्य लोग, शहीद राकेश कौशल की अंत्येष्टि में पहुंचे।

वहीं राष्ट्रवादी होने का दावा करने वाली पार्टी बीजेपी से पूर्व विधायक व दन्तेवाड़ा जिले के विधानसभा प्रत्याशी भीमा मंडावी न अंत्येष्टि में पहुंचे, न ही शहीद राकेश कौशल के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया। बावजूद इसके भीमा मंडावी ने शहीद के अंत्येष्टि में शामिल होने की बजाय किंरन्दुल जाकर अपना प्रचार करने को प्राथमिकता दी। जबकि एक जनप्रतिनिधि और पूर्व विधायक होने के नाते, शहीद की अंत्येष्टि में शामिल होकर परिजनों का मनोबल बढ़ाना चाहिए था। एक जनप्रतिनिधि से जनता को इस तरह की असंवेदनशीलता की अपेक्षा नहीं होती। आगामी चुनाव में जनता ही इस बात का निर्णय करेगी कि किसी जनप्रतिनिधि का ऐसा व्यवहार उन्हें स्वीकार्य है या नहीं ।

Dinesh KG
सिर्फ खबरें लगाना हमारा मक़सद नहीं, कोशिश रहती है कि पाठकों के सरोकार की खबरें न छूटें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!