भारत का अंतरिक्ष में एक और बड़ा कदम : ‘मिशन गगनयान’ समूचे दुनिया में लहरायेगा भारतीय स्वदेशी तकनीक का झंड़ा, जानें मिशन के मायने..

भारत ने रचा इतिहास, ISRO ने सफलतापूर्वक लॉन्च की गगनयान की पहली टेस्ट फ्लाइट

नई दिल्ली। अतंरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है। अंतरिक्ष में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान मिशन के लिए मानवरहित उड़ान लॉन्च की है। तमाम बाधाओं और चुनौतियों से पार पाते हुए इसरो ने गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। इसरो ने शनिवार सुबह 10 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान के क्रू मॉड्यूल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (Test Vehicle Abort Mission -1) और टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइंट (TV-D1) भी कहा जा रहा है।

  • इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि टीवी-डीवी 1 (क्रू मॉड्यूल) मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया है। उन्होंने इस सफलता के इसरो की पूरी टीम को बधाई दी।
  • टेस्ट व्हीकल एस्ट्रोनॉट के लिए बनाए गए क्रू मॉड्यूल को अपने साथ ऊपर ले गया। रॉकेट क्रू मॉड्यूल को लेकर साढ़े सोलह किलोमीटर ऊपर जाएगा और फिर बंगाल की खाड़ी में लैंड करेगा. इससे पहले शनिवार टेस्ट मिशन को सुबह लॉन्च 8 बजे लॉन्च करना था लेकिन खराब इसे 8.45 बजे के लिए फिर से शेड्यूल किया गया। लेकिन लॉन्च से पहले इंजन ठीक तरह से काम नहीं कर पाए जिसकी वजह से लॉन्चिंग स्थगित पड़ी थी।
  • इससे पहले इसरो प्रमुख ने लॉन्चिंग टलने पर कहा था कि हम यह पता लगा रहे कि क्या गड़बड़ी हुई। उन्होंने कहा, ‘टेस्ट व्हीकल पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन इंजन समय पर चालू नहीं हो पाए. इसरो खामियों का विश्लेषण करेगा और जल्द ही इसे दुरुस्त किया जाएगा। लिफ्ट बंद करने का समय स्थगित कर दिया गया है। किसी वजह से स्वचालित लॉन्च बाधित हो गया और कंप्यूटर ने लॉन्च को रोक दिया, हम मैन्युअल रूप से खामियों का विश्लेषण करेंगे।’

जानें क्या है इस मिशन का लक्ष्य..

गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मनुष्यों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है. क्रू मॉड्यूल के अंदर ही भारतीय अंतरिक्षयात्री यानी गगननॉट्स बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे. इसरो अपने परीक्षण यान – प्रदर्शन (टीवी-डी1), एकल चरण तरल प्रणोदन रॉकेट के सफल प्रक्षेपण का प्रयास करेगा. इस क्रू मॉड्यूल के साथ परीक्षण यान मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है। शनिवार को पहली परीक्षण उड़ान के दौरान ‘क्रू मॉड्यूल’ में लगी विभिन्न प्रणालियों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए डेटा प्राप्त किया जाएगा जिससे वैज्ञानिकों को यान के प्रदर्शन की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

समुद्र में कराया गया सुरक्षित लैंडिग..

शनिवार को संपूर्ण परीक्षण उड़ान कार्यक्रम संक्षिप्त रहने की उम्मीद है क्योंकि ‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डी1) क्रू एस्केप सिस्टम (चालक बचाव प्रणाली) और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित किया, जो श्रीहरिकोटा से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरा। बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना द्वारा इन्हें खोज कर निकाला जाएगा। मॉड्यूल को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल गए और इनकी लैंडिंग सुरक्षित तरीके से हुई।

Dinesh KG
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